श्रीमद् भगवद्-गीता » अध्याय 12: भक्तियोग » श्लोक 8 |
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| | श्लोक 12.8  | |  | | मय्येव मन आधत्स्व मयि बुद्धिं निवेशय ।
निवसिष्यसि मय्येव अत ऊर्ध्वं न संशय: ॥ ८ ॥ | | अनुवाद | | अपना चित्त मुझ परमेश्वर पर लगाओ और अपनी पूरी बुद्धि मुझमें निवेश करो। इस तरह तुम बिना किसी संदेह के हमेशा मेरे साथ रहोगे। | |
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