श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 11: विराट रूप  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  11.39 
 
 
वायुर्यमोऽग्न‍िर्वरुण: शशाङ्क:
प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च ।
नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्व:
पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते ॥ ३९ ॥
 
अनुवाद
 
  आप वायु हैं और परम नियंत्रक भी हैं। आप अग्नि हैं, जल हैं और चंद्रमा हैं। आप आदि जीव ब्रह्मा हैं और आप प्रपितामह भी हैं। इसलिए मैं आपको हजार बार और बार-बार नमन करता हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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