द्रोणं च भीष्मं च जयद्रथं च
कर्णं तथान्यानपि योधवीरान् ।
मया हतांस्त्वं जहि मा व्यथिष्ठा
युध्यस्व जेतासि रणे सपत्नान् ॥ ३४ ॥
अनुवाद
द्रोणाचार्य, भीष्म, जयद्रथ और कर्ण जैसे महान योद्धा पहले ही आपके द्वारा समाप्त किए जा चुके हैं। अतः मेरी आज्ञा है कि आप शत्रुओं का नाश करें और विचलित न हों। आप दिलेरी से युद्ध करें, आप युद्ध में विजयी होंगे।