श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 11: विराट रूप  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  11.22 
रुद्रादित्या वसवो ये च साध्या
विश्वेऽश्विनौ मरुतश्चोष्मपाश्च ।
गन्धर्वयक्षासुरसिद्धसङ्घा
वीक्षन्ते त्वां विस्मिताश्चैव सर्वे ॥ २२ ॥
 
 
अनुवाद
भगवान शिव के सभी स्वरूप, आदित्य, वसु, साध्य, विश्वेदेव, दोनों अश्वी, मरुद्गण, पितर, गन्धर्व, यक्ष, असुर तथा सिद्ध देवतागण आश्चर्यचकित होकर आपको देख रहे हैं।
 
Various forms of Shiva, Adityas, Vasus, Sadhya, Vishvedev, both Ashwinikumars, Marudgan, Pitrugan, Gandharva, Yaksha, Asura and Siddhadev are all looking at you with surprise.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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