श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 10: श्रीभगवान् का ऐश्वर्य  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  10.29 
 
 
अनन्तश्चास्मि नागानां वरुणो यादसामहम् ।
पितॄणामर्यमा चास्मि यम: संयमतामहम् ॥ २९ ॥
 
अनुवाद
 
  विभिन्न फणों वाले नागों में मैं अनंत हूँ और जल में रहने वालों में मैं समुद्र के देवता वरुण हूँ। पूर्वजों में मैं अर्यमा हूँ तथा नियम बनाने और चलाने वालों में मैं मृत्युलोक के देवता यमराज हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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