श्रीमद् भगवद्-गीता » अध्याय 10: श्रीभगवान् का ऐश्वर्य » श्लोक 20 |
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| | श्लोक 10.20  | |  | | अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थित: ।
अहमादिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च ॥ २० ॥ | | अनुवाद | | मैं परमात्मा हूँ, हे अर्जुन! जो सभी प्राणियों के हृदयों में निवास करता है। मैं ही सभी जीवों की उत्पत्ति, मध्य और अंत हूँ। | |
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