श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 1: युद्धस्थल परीक्षण एवं अर्जुन विषाद योग  »  श्लोक 46
 
 
श्लोक  1.46 
 
 
सञ्जय उवाच
एवमुक्त्वार्जुनः संख्ये रथोपस्थ उपाविशत् ।
विसृज्य सशरं चापं शोकसंविग्न‍मानसः ॥ ४६ ॥
 
अनुवाद
 
  संजय ने कहा—युद्ध के मैदान में इस तरह कहने के बाद, अर्जुन ने अपना धनुष और बाण एक तरफ फेंक दिया और दुःख से भरे अपने मन के साथ रथ पर बैठ गया।
 
 
इस प्रकार श्रीमद् भगवद्-गीता के अंतर्गत पहला अध्याय समाप्त होता है ।
 
 
 
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