श्रीमद् भगवद्-गीता  »  अध्याय 1: युद्धस्थल परीक्षण एवं अर्जुन विषाद योग  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  1.42 
 
 
दोषैरेतैः कुलघ्न‍ानां वर्णसङ्करकारकैः ।
उत्साद्यन्ते जातिधर्माः कुलधर्माश्च शाश्वताः ॥ ४२ ॥
 
अनुवाद
 
  जो लोग कुल-परम्परा को नष्ट करके अवांछित सन्तानों को जन्म देते हैं, उनके दुष्कर्मों से सभी सामुदायिक परियोजनाएँ और पारिवारिक कल्याणकारी कार्य तहस-नहस हो जाते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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