न च शक्नोम्यवस्थातुं भ्रमतीव च मे मनः ।
निमित्तानि च पश्यामि विपरीतानि केशव ॥ ३० ॥
अनुवाद
मैं अब यहाँ अधिक समय तक खड़ा नहीं रह सकता। मैं अपने आप को भूल रहा हूँ, और मेरा मन विचलित हो रहा है। हे कृष्ण! केशी दानव के हन्ता! मुझे तो केवल दुर्भाग्य के ही कारण दिख रहे हैं।