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श्लोक 3.9.25  |
তারে নিন্দা করি’ কহে সগর্ব বচনে
রাজা কৃপা করে তাতে ভয নাহি মানে |
तारे निन्दा क रि’ कहे सगर्व वचने ।
राजा कृपा करे ताते भय नाहि माने ॥25॥ |
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अनुवाद |
गोपीनाथ पट्टनायक ने उस राजकुमार की आलोचना की थी। राजा उस पर अत्यन्त दयालु थे इसलिए वह राजकुमार से नहीं डरता था। |
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