श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 7: श्री चैतन्य महाप्रभु एवं वल्लभ भट्ट की भेंट  »  श्लोक 166
 
 
श्लोक  3.7.166 
পণ্ডিতের সৌজন্য, ব্রহ্মণ্যতা-গুণ
দৃঢ প্রেম-মুদ্রা লোকে করিলা খ্যাপন
पण्डि तेर सौजन्य, ब्रह्मण्यता - गुण ।
दृढ़ प्रेम - मुद्रा लोके करिला ख्यापन ॥166॥
 
अनुवाद
गदाधर पंडित अपने नम्र व्यवहार, अपने ब्राह्मण गुणों और श्री चैतन्य महाप्रभु के प्रति अपने अटल प्यार के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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