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श्लोक 3.6.76  |
রাঘবে বসাঞা দুই কুণ্ডী দেওযাইলা
রাঘব দ্বিবিধ চিডা তাতে ভিজাইলা |
राघवे वसा ञा दुइ कुण्डी देओयाइला ।
राघव द्विविध चिड़ा ताते भिजाइला ॥76॥ |
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अनुवाद |
नित्यानन्द प्रभु ने राघव पण्डित को बैठने को कहा और उन्हें भी दो बर्तन भेंट किए। उन बर्तनों में दो प्रकार के चिउड़े भिगोए हुए थे। |
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