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श्लोक 3.6.7  |
দিনে প্রভু নানা-সঙ্গে হয অন্য মন
রাত্রি-কালে বাডে প্রভুর বিরহ-বেদন |
दिने प्रभु नाना - सङ्गे हय अन्य मन ।
रात्रि - काले बाड़े प्रभुर विरह - वेदन ॥7॥ |
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अनुवाद |
दिन के समय विभिन्न भक्तजनों के साथ रहने के कारण श्री महाप्रभु का मन कुछ समय के लिए अन्यत्र लगा रहता परन्तु रात्रि के समय कृष्ण की विरह पीड़ा तेज़ी से बढ़ने लगती। |
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