श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 6: श्री चैतन्य महाप्रभु तथा रघुनाथ दास गोस्वामी की भेंट  »  श्लोक 58
 
 
श्लोक  3.6.58 
আর অর্ধেক ঘনাবৃত-দুগ্ধেতে ছানিল
চাঙ্পা-কলা, চিনি, ঘৃত, কর্পূর তাতে দিল
आर अर्धेक घनावृत - दुग्धेते छानिल ।
चाँपा - कला, चिनि, घृत, कर्पूर ताते दिल ॥58॥
 
अनुवाद
चारों भाग में गाढ़े दूध तथा विशेष प्रकार के केले में जो चाँपा - कला कहलाता है मिलाया गया। तत्पश्चात चीनी, घी और कपूर डाला गया।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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