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श्लोक 3.6.34  |
রঘুনাথ আসি’ তবে জ্যেঠারে মিলাইল
ম্লেচ্ছ-সহিত বশ কৈল — সব শান্ত হৈল |
रघुनाथ आसि’ तबे ज्येठारे मिलाइल ।
म्लेच्छ - सहित वश कैल - सब शान्त हैल ॥34॥ |
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अनुवाद |
रघुनाथ दास ने अपने ताऊ और चौधरी की भेंट करवाई। उन्होंने झगड़े को सुलझा दिया और सबकुछ शांतिपूर्ण हो गया। |
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