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अध्याय 6: श्री चैतन्य महाप्रभु तथा रघुनाथ दास गोस्वामी की भेंट
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श्लोक 30
श्लोक
3.6.30
ম্লেচ্ছ বলে, — “আজি হৈতে তুমি — মোর ‘পুত্র’
আজি ছাডাইমু তোমা’ করি’ এক সূত্র”
म्लेच्छ बले, - “आजि हैते तुमि - मोर ‘पुत्र’ ।
आजि छाड़ाइमु तोमा’ करि’ एक सूत्र” ॥30॥
अनुवाद
मुसलमान चौधरी ने रघुनाथ दास से कहा, “आज से तुम मेरे बेटे हो। मैं आज किसी भी तरह तुम्हें मुक्त करा कर रहूँगा।”
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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