এই শিলার কর তুমি সাত্ত্বিক পূজন
অচিরাত্ পাবে তুমি কৃষ্ণ-প্রেম-ধন
एइ शिलार कर तुमि सात्त्विक पूजन ।
अचिरात् पाबे तुमि कृष्ण - प्रेम - धन ॥295॥
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु ने बोला, “तुम एक सिद्ध ब्राह्मण की तरह सत्त्वगुण से इस पत्थर की पूजा करो, क्योंकि ऐसी पूजा से तुम तुरंत कृष्ण के प्रति भावभरी भक्ति अवश्य प्राप्त कर सकते हो।”