श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 6: श्री चैतन्य महाप्रभु तथा रघुनाथ दास गोस्वामी की भेंट  »  श्लोक 178
 
 
श्लोक  3.6.178 
তাঙ্র পিতা কহে, — “গৌডের সব ভক্ত-গণ
প্রভু-স্থানে নীলাচলে করিলা গমন
ताँर पिता कहे , - “गौड़ेर सब भक्त - गण ।
प्रभु - स्थाने नीलाचले करिला गमन” ॥178॥
 
अनुवाद
रघुनाथ दास के पिता ने कहा, "अब बंगाल के सभी भक्त भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु के दर्शन करने जगन्नाथपुरी चले गये हैं।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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