श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 6: श्री चैतन्य महाप्रभु तथा रघुनाथ दास गोस्वामी की भेंट  »  श्लोक 103
 
 
श्लोक  3.6.103 
মহাপ্রভু তাঙ্র নৃত্য করেন দরশন
সবে নিত্যানন্দ দেখে, না দেখে অন্য-জন
महाप्रभु ताँर नृत्य करेन दरशन ।
सबे नित्यानन्द देखे, ना देखे अन्य - जन ॥103॥
 
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु श्री नित्यानन्द प्रभु के नृत्य को देख रहें थे। श्री नित्यानन्द प्रभु उन्हें देख सके, परन्तु अन्य कोई भी उन्हें नृत्य करते हुए नहीं देख सका।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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