पूर्वकाल में जब श्रीमती राधारानी को कृष्ण से विरह की पीड़ा होती, तब उनकी सखी ललिता अनेक प्रकार की सहायता करके उन्हें जीवित रखती थीं। उसी प्रकार जब श्री चैतन्य महाप्रभु को राधारानी के भाव आते, तब स्वरूप दामोदर गोस्वामी उन्हें जीवित रखने में उनकी सहायता करते थे। |