श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 5: प्रद्युम्न मिश्र का रामानन्द राय से उपदेश लेना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  3.5.9 
কৃষ্ণ-কথায রুচি তোমার — বড ভাগ্যবান্
যার কৃষ্ণ-কথায রুচি, সেই ভাগ্যবান্
कृष्ण - कथाय रुचि तोमार - बड़ भाग्यवान् ।
यार कृष्ण - कथाय रुचि, सेइ भाग्यवान् ॥9॥
 
अनुवाद
मैं देख रहा हूँ कि तुम्हारे मन में कृष्ण विषयक कथाएँ सुनने का रस उत्पन्न हुआ है। इसीलिए तुम अत्यंत भाग्यशाली हो। न केवल तुम ही, बल्कि जिस किसी ने भी ऐसा रस उत्पन्न कर लिया है, वही सबसे अधिक भाग्यशाली माना जाता है।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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