श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 5: प्रद्युम्न मिश्र का रामानन्द राय से उपदेश लेना  »  श्लोक 76
 
 
श्लोक  3.5.76 
হেন ‘রস’ পান মোরে করাইলা তুমি
জন্মে জন্মে তোমার পায বিকাইলাঙ আমি
हेन ‘रस’ पान मोरे कराइला तुमि ।
जन्मे जन्मे तोमार पाय विकाइलाङ आमि ॥76॥
 
अनुवाद
"हे प्रभु, आपने मुझे कृष्ण-कथा के इस पारलौकिक अमृत का पान कराया है। इसलिए मैं जन्मों- जन्मान्तर के लिए आपके चरण-कमलों का दास बन गया हूँ।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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