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श्लोक 3.5.24  |
ভাব-প্রকটন-লাস্য রায যে শিখায
জগন্নাথের আগে দুঙ্হে প্রকট দেখায |
भाव - प्रकटन - लास्य राय ये शिखाय ।
जगन्नाथेर आगे दुँहे प्रकट देखाय ॥24॥ |
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अनुवाद |
रामानंद राय द्वारा सिखाए गए स्त्री सुलभ नृत्य और मुद्राओं के माध्यम से दोनों युवतियों ने ये सभी भाव भगवान जगन्नाथ के समक्ष हूबहू प्रदर्शित किए। |
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