श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 5: प्रद्युम्न मिश्र का रामानन्द राय से उपदेश लेना  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  3.5.24 
ভাব-প্রকটন-লাস্য রায যে শিখায
জগন্নাথের আগে দুঙ্হে প্রকট দেখায
भाव - प्रकटन - लास्य राय ये शिखाय ।
जगन्नाथेर आगे दुँहे प्रकट देखाय ॥24॥
 
अनुवाद
रामानंद राय द्वारा सिखाए गए स्त्री सुलभ नृत्य और मुद्राओं के माध्यम से दोनों युवतियों ने ये सभी भाव भगवान जगन्नाथ के समक्ष हूबहू प्रदर्शित किए।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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