শ্রদ্ধা করি’ এই লীলা যেই পডে, শুনে
গৌর-লীলা, ভক্তি-ভক্ত-রস-তত্ত্ব জানে
श्रद्धा क रि’ एइ लीला येइ पड़े, शुने ।
गौर - लीला, भक्ति - भक्त - रस - तत्त्व जाने ॥163॥
अनुवाद
श्रद्धा व प्रेम के साथ इन लीलाओं को पढ़ने और सुनने वाला व्यक्ति भक्ति, भक्तवत्सल और श्री चैतन्य महाप्रभु की लीलाओं के दिव्य रसों की सच्चाई को समझ सकता है।