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लीला 3: अन्त्य लीला
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अध्याय 5: प्रद्युम्न मिश्र का रामानन्द राय से उपदेश लेना
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श्लोक 118
श्लोक
3.5.118
পূর্ণানন্দ-চিত্-স্বরূপ জগন্নাথ-রায
তাঙ্রে কৈলি জড-নশ্বর-প্রাকৃত-কায!!
पूर्णानन्द - चित्स्वरूप जगन्नाथ - राय ।
ताँरे कैलि जड़ - नश्वर - प्राकृत - काय!! ॥118॥
अनुवाद
“भगवान जगन्नाथ पूर्णतः आध्यात्मिक हैं और दिव्य आनंद से परिपूर्ण हैं, परन्तु आपने उनकी तुलना एक निष्क्रिय, नष्ट होने वाले शरीर से की है, जो भगवान की बाहरी जड़ ऊर्जा से बना है।”
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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