श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 4: जगन्नाथ पुरी में महाप्रभु से सनातन गोस्वामी की भेंट  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  3.4.22 
সব ভক্ত-গণে প্রভু মিলাইলা সনাতনে
সনাতন কৈলা সবার চরণ বন্দনে
सब भक्त - गणे प्रभु मिलाइला सनातने ।
सनातन कैला सबार चरण वन्दने ॥22॥
 
अनुवाद
महाप्रभु ने सनातन गोस्वामी के द्वारा सबका परिचय करवाया और सनातन गोस्वामी ने उनके चरण-कमलों में सादर नमस्कार किया।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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