श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 3: अन्त्य लीला » अध्याय 20: शिक्षाष्टक प्रार्थनाएँ » श्लोक 67-68 |
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| | श्लोक 3.20.67-68  | যেই যেই শ্লোক জযদেব, ভাগবতে
রাযের নাটকে, যেই আর কর্ণামৃতে
সেই সেই ভাবে শ্লোক করিযা পঠনে
সেই সেই ভাবাবেশে করেন আস্বাদনে | येइ येइ श्लोक जयदेव, भागवते ।
रायेर नाटके, येइ आर कर्णामृते ॥67॥
सेइ सेइ भावे श्लोक करिया पठने ।
सेइ सेइ भावावेशे करेन आस्वादने ॥68॥ | | अनुवाद | जब-जब श्री चैतन्य महाप्रभु जयदेव की गीत गोविंद, श्रीमद्भागवत, रामानंद राय का जगन्नाथ वल्लभ नाटक और बिल्व मंगल ठाकुर का कृष्ण कर्णामृत पढ़ते हैं, तब-तब वे उन श्लोकों में वर्णित भावों से अभिभूत हो जाते हैं। इस तरह वे उसमें निहित अर्थ का आनंद लेते हैं। | | |
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