श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 3: अन्त्य लीला » अध्याय 2: छोटे हरिदास को दण्ड » श्लोक 62 |
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| | श्लोक 3.2.62  | দেখে, শীঘ্র আসি’ বসিলা চৈতন্য-গোসাঞি
তিন ভোগ খাইলা, কিছু অবশিষ্ট নাই | देखे, शीघ्र आ सि’ वसिला चैतन्य - गोसा ञि ।
तिन भोग खाइला, किछु अवशिष्ट नाइ ॥62॥ | | अनुवाद | ध्यान के दौरान उन्होंने देखा कि श्री चैतन्य महाप्रभु तुरंत आए, बैठ गए और तीनों भोग खा गए, कुछ भी बच नहीं पाया। | | |
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