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श्लोक 3.2.46  |
পৌষ-মাসে আইল দুঙ্হে সামগ্রী করিযা
সন্ধ্যা-পর্যন্ত রহে অপেক্ষা করিযা |
पौष - मासे आइल दुँहे सामग्री करिया ।
सन्ध्या - पर्यन्त रहे अपेक्षा करिया ॥46॥ |
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अनुवाद |
जब पौष मास आया, तब शिवानन्द और जगदानन्द दोनों ने मिलकर महाप्रभु के स्वागत के लिए आवश्यक सभी प्रकार की सामग्री एकत्र की। प्रतिदिन वे शाम तक महाप्रभु के आने की प्रतीक्षा करते। |
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