श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 3: अन्त्य लीला » अध्याय 2: छोटे हरिदास को दण्ड » श्लोक 27 |
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| | श्लोक 3.2.27  | আবেশে ব্রহ্মচারী কহে, — ‘শিবানন্দ আছে দূরে
জন দুই চারি যাহ, বোলাহ তাহারে’ | आवेशे ब्रह्मचारी कहे , - “शिवानन्द आछे दूरे ।
जन दुइ चारि याह, बोलाह ताहारे” ॥27॥ | | अनुवाद | अपनी आवेशित अवस्था में नकुल ब्रह्मचारी ने कहा, “शिवानन्द सेना कुछ दूरी पर रुका हुआ है। तुम में से दो-चार लोग जाकर उसे बुला लाओ।” | | |
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