श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 3: अन्त्य लीला » अध्याय 2: छोटे हरिदास को दण्ड » श्लोक 19 |
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| | श्लोक 3.2.19  | অশ্রু, কম্প, স্তম্ভ, স্বেদ, সাত্ত্বিক বিকার
নিরন্তর প্রেমে নৃত্য, সঘন হুঙ্কার | अश्रु, कम्प, स्तम्भ, स्वेद, सात्त्विक विकार ।
निरन्तर प्रेमे नृत्य, सघन हुङ्कार ॥19॥ | | अनुवाद | वे दिव्य प्रेम के शारीरिक परिवर्तनों को लगातार प्रदर्शित करते थे। इस तरह वे रोते, काँपते, स्तब्ध होते, पसीने से लथपथ होते, भगवत्प्रेम में सराबोर होकर नाचते और बादल के समान आवाजें निकालते। | | |
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