श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 2: छोटे हरिदास को दण्ड  »  श्लोक 150
 
 
श्लोक  3.2.150 
এক-দিন মহাপ্রভু পুছিলা ভক্ত-গণে
‘হরিদাস কাঙ্হা? তারে আনহ এখানে’
एक - दिन महाप्रभु पुछिला भक्त - गणे ।
‘हरिदास काँहा ? तारे आनह एखाने’ ॥150॥
 
अनुवाद
एक दिवस श्री चैतन्य महाप्रभु ने भक्तों से पूछा, "हरिदास कहाँ हैं? अब उसे मेरे पास ले आओ।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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