श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 3: अन्त्य लीला » अध्याय 2: छोटे हरिदास को दण्ड » श्लोक 135 |
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| | श्लोक 3.2.135  | “তোমার যে ইচ্ছা, কর, স্বতন্ত্র ঈশ্বর
কেবা কি বলিতে পারে তোমার উপর? | “तोमार ये इच्छा, कर, स्वतन्त्र ईश्वर ।
केबा कि बलिते पारे तोमार उपर ? ॥135॥ | | अनुवाद | परमानन्द पुरी ने कहा, "हे प्रभु चैतन्य, तुम पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान हो। तुम जो भी चाहो वो कर सकते हो। तुम्हारे ऊपर कौन है जो कुछ कह सके?" | | |
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