श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 3: अन्त्य लीला » अध्याय 2: छोटे हरिदास को दण्ड » श्लोक 130 |
|
| | श्लोक 3.2.130  | পুছিলা, — কি আজ্ঞা, কেনে হৈল আগমন?
‘হরিদাসে প্রসাদ লাগি’ কৈলা নিবেদন | पुछिला, - कि आज्ञा, केने हैल आगमन ? ।
‘हरिदासे प्रसाद ला गि’ कैला निवेदन ॥130॥ | | अनुवाद | महाप्रभु ने पूछा, "आपको क्या चाहिए? आप यहाँ किस लिए आए हैं?" तब परमानन्द पुरी ने विनती की कि महाप्रभु छोटे हरिदास पर कृपा करें। | | |
| ✨ ai-generated | |
|
|