श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 2: छोटे हरिदास को दण्ड  »  श्लोक 109
 
 
श्लोक  3.2.109 
মধ্যাহ্নে আসিযা প্রভু ভোজনে বসিলা
শাল্যন্ন দেখি’ প্রভু আচার্যে পুছিলা
मध्याह्ने आसिया प्रभु भोजने वसिला ।
शाल्यन्न देखि’ प्रभु आचाये पुछिला ॥109॥
 
अनुवाद
दोपहर के समय जब श्री चैतन्य महाप्रभु भगवान् आचार्य की भिक्षा ग्रहण करने पधारे, तो उन्होंने सर्वप्रथम उत्तम चावल की प्रशंसा करते हुए उनसे प्रश्न किया।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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