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श्लोक 3.19.7  |
কহিহ তাঙ্হারে — ‘তুমি করহ স্মরণ
নিত্য আসি’ আমি তোমার বন্দিযে চরণ |
कहिह ताँहारे ‘तुमि करह स्मरण ।
नित्य आ सि’ आमि तोमार वन्दिये चरण ॥7॥ |
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अनुवाद |
उनसे मेरी ओर से कहना, "कृपया यह याद रखें कि मैं प्रतिदिन यहां आकर आपके चरणों में नतमस्तक होता हूं।" |
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