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श्लोक 3.19.31  |
উন্মাদ-প্রলাপ-চেষ্টা করে রাত্রি-দিনে
রাধা-ভাবাবেশে বিরহ বাডে অনুক্ষণে |
उन्माद - प्रलाप - चेष्टा करे रात्रि - दिने ।
राधा - भावावेशे विरह बाड़े अनुक्षणे ॥31॥ |
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अनुवाद |
जब श्रीमती राधारानी के भावावेश में महाप्रभु की विरह - भावना प्रतिक्षण बढ़ती गई, तब श्री महाप्रभु के कार्य दिन और रात दोनों ही समय प्रचंड तथा अविवेकपूर्ण हो गए। |
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