श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 3: अन्त्य लीला » अध्याय 19: श्री चैतन्य महाप्रभु का अचिन्त्य व्यवहार » श्लोक 21 |
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| | श्लोक 3.19.21  | বাউলকে কহিহ, — কাযে নাহিক আউল
বাউলকে কহিহ, — ইহা কহিযাছে বাউল” | बाउलके कहिह , - काये नाहिक आउल ।
बाउलके कहिह , - इहा कहियाछे बाउल” ॥21॥ | | अनुवाद | "और उन्हें यह भी कहना कि जो लोग प्रेम के भावावेश में बावले हो गए हैं, वे अब भौतिक संसार में कोई रुचि नहीं रखते। श्री चैतन्य महाप्रभु से यह भी कहना कि प्रेम में बावले हुए एक व्यक्ति (अद्वैत प्रभु) ने ये शब्द कहे हैं।" | | |
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