বাউলকে কহিহ, — লোক হ-ইল বাউল
বাউলকে কহিহ, — হাটে না বিকায চাউল
बाउलके कहिह , - लोक ह - इल बाउल ।
बाउलके कहिह , - हाटे ना विकाय चाउल ॥20॥
अनुवाद
"श्री चैतन्य महाप्रभु से कहिये कि वे जो बावले जैसे व्यवहार कर रहे हैं, वह सब यहाँ सभी को पागल कर चुका है। यह भी बताएँ कि बाज़ार में चावल की ज़रूरत बिल्कुल नहीं रह गई है।"