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श्लोक 3.19.13  |
জগন্নাথের উত্তম প্রসাদ আনিযা যতনে
মাতারে পৃথক্ পাঠান, আর ভক্ত-গণে |
जगन्नाथेर उत्तम प्रसाद आनिया यतने ।
मातारे पृथक् पाठान्, आर भक्त - गणे ॥13॥ |
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अनुवाद |
श्री चैतन्य महाप्रभु ने श्री जगन्नाथ जी का उत्तम कोटि का प्रसाद बड़े ही यत्नपूर्वक लाया और उसे अलग-अलग थैलियों में अपनी माँ एवं नदिया के भक्तों के लिए भेजा। |
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