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श्लोक 3.19.12  |
গোপ-লীলায পাইলা যেই প্রসাদ-বসনে
মাতারে পাঠান তাহা পুরীর বচনে |
गोप - लीलाय पाइला येइ प्रसाद - वसने ।
मातारे पाठान ताहा पुरीर वचने ॥12॥ |
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अनुवाद |
परमानंद पुरी के आदेश का पालन करते हुए श्री चैतन्य महाप्रभु ने अपनी माँ को प्रसाद के तौर पर वह वस्त्र भेजा, जिसे श्री जगन्नाथ जी ने गोपलीला दिखाने के बाद छोड़ दिया था। |
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