श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 18: महाप्रभु का समुद्र से बचाव  »  श्लोक 62
 
 
श्लोक  3.18.62 
তিন চাপড মারি’ কহে, — ‘ভূত পলাইল
ভয না পাইহ’ — বলি’ সুস্থির করিল
तिन चापड़ मा रि’ कहे, - ‘भूत पलाइल ।
भय ना पाइह ‘ - बलि’ सुस्थिर करिल ॥62॥
 
अनुवाद
उन्होंने उस मछुआरे को तीन थप्पड़ लगाए और कहा, “अब भूत भाग गया है। डरो नहीं।” ये कहते हुए उन्होंने मछुआरे को तसल्ली दी।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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