श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 18: महाप्रभु का समुद्र से बचाव  »  श्लोक 41
 
 
श्लोक  3.18.41 
সমুদ্রের তীরে আসি’ যুকতি করিলা
চিরাযু-পর্বত-দিকে কত-জন গেলা
समुद्रेर तीरे आसि’ युकति करिला ।
चिरायु - पर्वत - दिके कत - जन गेला ॥41॥
 
अनुवाद
जब वे समुद्र के किनारे पहुँचे, तो उन्होंने आपस में सलाह-मशविरा किया। फिर, उनमें से कुछ लोग श्री चैतन्य महाप्रभु को खोजने के लिए चटक पर्वत पर गए।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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