श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 18: महाप्रभु का समुद्र से बचाव  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  3.18.38 
চাহিযে বেডাইতে ঐছে রাত্রি-শেষ হৈল
‘অন্তর্ধান হ-ইলা প্রভু’, — নিশ্চয করিল
चाहिये बेड़ाइते ऐछे रात्रि - शेष हैल ।
‘अन्तर्धान ह - इला प्रभु’, - निश्चय करिल ॥38॥
 
अनुवाद
इस प्रकार महाप्रभु की खोज करते हुए रात समाप्त हो गई। अतः उन्होंने निश्चय किया, "अब श्री चैतन्य महाप्रभु लुप्त हो गए हैं।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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