|
|
|
श्लोक 3.18.114  |
সব রাত্রি সবে বেডাই তোমারে অন্বেষিযা
জালিযার মুখে শুনি’ পাইনু আসিযা |
सब रात्रि सबे बेड़ाइ तोमारे अन्वेषि या ।
जालियार मुखे शुनि’ पाइनु आसिया ॥114॥ |
|
अनुवाद |
“हम पूरी रात आपकी तलाश में भटकते रहे। लेकिन जब इस मछुआरे से सुना तो यहाँ आये और तब आपसे मुलाकात हो सकी। |
|
|
|
✨ ai-generated |
|
|