श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 18: महाप्रभु का समुद्र से बचाव  »  श्लोक 114
 
 
श्लोक  3.18.114 
সব রাত্রি সবে বেডাই তোমারে অন্বেষিযা
জালিযার মুখে শুনি’ পাইনু আসিযা
सब रात्रि सबे बेड़ाइ तोमारे अन्वेषि या ।
जालियार मुखे शुनि’ पाइनु आसिया ॥114॥
 
अनुवाद
“हम पूरी रात आपकी तलाश में भटकते रहे। लेकिन जब इस मछुआरे से सुना तो यहाँ आये और तब आपसे मुलाकात हो सकी।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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