वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्री चैतन्य चरितामृत
»
लीला 3: अन्त्य लीला
»
अध्याय 17: श्री चैतन्य महाप्रभु के शारीरिक विकार
»
श्लोक 3
श्लोक
3.17.3
এই-মত মহাপ্রভু রাত্রি-দিবসে
উন্মাদের চেষ্টা, প্রলাপ করে প্রেমাবেশে
एइ - मत महाप्रभु रात्रि - दिवसे ।
उन्मादेर चेष्टा, प्रलाप करे प्रेमावेशे ॥3॥
अनुवाद
भाव-विभोर होकर श्री चैतन्य महाप्रभु दिन-रात उन्मत्त की भाँति आचरण करते और बातें करते रहते।
✨ ai-generated
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.