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श्लोक 3.17.15  |
ইতি-উতি অন্বেষিযা সিṁহ-দ্বারে গেলা
গাভী-গণ-মধ্যে যাই’ প্রভুরে পাইলা |
इति - उति अन्वेषिया सिंह - द्वारे गेला ।
गाभी - गण - मध्ये याइ’ प्रभुरे पाइला ॥15॥ |
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अनुवाद |
सिंहद्वार के आसपास काफी खोजबीन करने के बाद अंत में वे सब गोशाला में पहुँचे। वहाँ उन्होंने देखा कि श्री चैतन्य महाप्रभु गायों के बीच बेहोश पड़े हुए हैं। |
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