প্রভু কহে, — “এই যে দিলা কৃষ্ণাধরামৃত
ব্রহ্মাদি-দুর্লভ এই নিন্দযে ‘অমৃত’
प्रभु कहे, - “एइ ये दिला कृष्णाधरामृत ।
ब्रह्मादि - दुर्लभ एइ निन्दये ‘अमृत’ ॥97॥
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु ने उत्तर दिया, "ये कृष्ण द्वारा खाए गए भोजन के अवशेष हैं, इसलिए उनके होंठों के स्पर्श से अमृत में बदल गए हैं। यह स्वर्गीय अमृत से भी बढ़कर है और ब्रह्मा जैसे देवताओं के लिए भी दुर्लभ है।