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श्लोक 3.16.95  |
এই বুদ্ধ্যে মহাপ্রভুর প্রেমাবেশ হৈল
জগন্নাথের সেবক দেখি’ সম্বরণ কৈল |
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एइ बुद्ध्ये महाप्रभुर प्रेमावेश हैल ।
जगन्नाथेर सेवक दे खि’ सम्वरण कैल ॥95॥ |
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अनुवाद |
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यह समझते ही श्री चैतन्य महाप्रभु को कृष्ण के प्रति प्रेम का अनुभव हुआ, किंतु भगवान जगन्नाथ के सेवकों को देखते ही वह स्वयं को संभाल गए। |
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