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अध्याय 16: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा कृष्ण के अधरों का अमृतपान
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श्लोक 93
श्लोक
3.16.93
কোটি-অমৃত-স্বাদ পাঞা প্রভুর চমত্কার
সর্বাঙ্গে পুলক, নেত্রে বহে অশ্রু-ধার
कोटि - अमृत - स्वाद पाञा प्रभुर चमत्कार ।
सर्वाङ्गे पुलक, नेत्रे वहे अश्रु - धार ॥93॥
अनुवाद
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श्री चैतन्य महाप्रभु के लिए ये प्रसाद अमृत से करोड़ों गुना मीठा था, इसलिए वे पूरी तरह से संतुष्ट हो गए। उनके शरीर के सभी रोम खड़े हो गए और उनकी आँखों से अविरल आँसू बहने लगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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